हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने पिछले 24 घंटों में अमेरिकी कार्यकर्ताओं के इज़राइल विरोधी प्रदर्शनों की प्रतिक्रिया में ग़ाज़ा में फ़िलिस्तीनियों की संकटपूर्ण स्थिति को वास्तविक होलोकॉस्ट बताया है और इसे आधुनिक युग में आम नागरिकों के ख़िलाफ़ युद्ध अपराध और नरसंहार का स्पष्ट उदाहरण कहा है।
अमेरिकी संगठन 'कोड पिंक' के कुछ सदस्यों ने बीते शनिवार को वाशिंगटन डी.सी. में स्थित होलोकॉस्ट म्यूज़ियम के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी पर जारी बमबारी और फ़िलिस्तीनियों को जानबूझकर भूखा रखने की नीति की निंदा की है।
प्रदर्शनकारियों ने अब कभी नहीं मतलब किसी के लिए भी कभी नहीं" जैसे नारे लगाए और ग़ज़ा युद्ध तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भूख से पीड़ित बच्चों की तस्वीरें दिखाकर ज़ोर दिया कि अगर यहूदियों के ख़िलाफ़ नरसंहार और अत्याचार ग़लत हैं, तो ऐसा किसी और के साथ भी नहीं होना चाहिए।
इतिहास के अनुसार, प्रथम विश्वयुद्ध के बाद केवल 5 से 10 प्रतिशत यूरोपीय यहूदी ही फ़िलिस्तीन की ओर गए थे। यानी, नाज़ियों ने होलोकॉस्ट के दौरान उन अधिकांश यहूदियों को निशाना बनाया जिन्होंने यहूदी राष्ट्रवादियों द्वारा फ़िलिस्तीन प्रवास के आह्वान को अस्वीकार कर दिया था।
होलोकॉस्ट, जिसे लेकर आज भी कई सवाल और विवाद हैं, पश्चिम की ऐतिहासिक स्मृति में एक मानवीय त्रासदी के रूप में देखा जाता है। दशकों से, यहूदी राष्ट्रवाद यानी ज़ायोनिज़्म की आलोचना को यहूदी विरोध या यहूदियों पर अत्याचार की पुनरावृत्ति के रूप में देखा जाता रहा है।
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